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पूरा साल बीत गया, लेकिन वायु प्रदूषण पर अंकुश नहीं लग सका। इसे नाकामी कहें या लोगों की मनमानी। खनिज सामग्री पर रोक के बावजूद भी लोगों ने खूब क्रेशर प्लांट चलाए। साथ में निर्माण कार्य भी उसी गति पर चलने दिया, जिसका नतीजा वायु में प्रदूषण की बढ़ोतरी रहा। यहां तक की सरकार ने पराली जलाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई हुई है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में लोग पराली को जलाने से बाज नहीं आते। इसके साथ-साथ शहर व बाजारों में सुबह-सुबह दुकानदार भी प्लास्टिक को मस्ती से जलाते हैं। यही कारण है कि पूरे साल प्रदूषण आंखों में मिर्च की तरह चुभता रहा। इसी का नतीजा है कि ज्यादातर मरीज दमा और खांसी के बढे हैं। यदि देखा जाए तो इसमें प्रशासन के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की भी अनदेखी रही है, क्योंकि लोगों को जागरूक करने में कहीं ना कहीं कमी रही है। तभी यहां की वायु जहरीली रही।