पुरन फल्म ब्लू

सीनियर पैथोलाजिस्ट डा. भरत कुमार वाष्र्णेय के अनुसार डिस्टिलरी प्लांट से निकलने वाली शराब, जो सरकारी दुकानों पर बेची जाती है, उसे खास तापमान में डिस्टिल्ड किया जाता है, ताकि केवल एथाइल एल्कोहल (ऐथेनाल) आए। यह केवल पीने वाले व्यक्ति को नशा करता है। कच्ची या जहरीली शराब बनाने के लिए कई तरह के घातक रसायन व वस्तुएं इस्तेमाल की जाती हैं। इसमें कोई तय तापमान नहीं होता, जिससे एथाइल के साथ मिथाइल, एथाइल, प्रोपाइल आदि एल्कोहल भी शराब में शामिल हो जाते हैं। मिथाइल सबसे ज्यादा खतरनाक एल्कोहल होता है। इसका सबसे ज्यादा असर आंखों पर पड़ता है, दिमाग पर पड़ता है। यह सीधे तौर पर लिवर को भी प्रभावित करता है। इसके 15 एमएल (मिलीलीटर) के सेवन से ही व्यक्ति की मौत हो सकती है। व्यक्ति अंधा हो सकता है।