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शासन का इतना दवाब है कि अब जिले के तमाम ठेकदार शराब के काराेबार से तौबा करना चाह रहे हैं। दुकानें निलंबित होने के बाद वो इस कारोबार में नहीं आना चाहते हैं। हालांकि, ये ठेके काफी फायदे में चल रहे थे। इसलिए माफिया लंबे समय से इन पर कब्जा जमाए हुए थे। अब चूंकि इन्हें निलंबित किया जा रहा है तो नए ठेकेदार आने से कतरा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं वो भी पकड़े न जाएं। इसलिए अब बुलंदशहर, कासगंज, मेरठ आदि जिलों के शराब के कारोबारियों भी ठेका दिया जा सकता है, जिससे नए सत्र में दुकानें चलती रहें। हालांकि, अभी 24 निलंबित दुकानों को प्रतिदिन के हिसाब से ठेके पर उठाए जाने की तैयारी चल रही है, क्योंकि टेंडर आदि निकालने में समय लगेगा, जिससे आबकारी विभाग को नुकसान उठाना पड़ेगा।