लखनऊ,राज्यब्यूरो।उत्तरप्रदेशमेंकृषिवकिसानोंकाहितकेवलअर्थव्यवस्थाहीनहीं,बल्किराजनीतिकस्थिरतासेजुड़ाविषयहै।राज्यमेंसबसेअधिकलोगखेतीसेजुड़ेहैंऔरउनकाकल्याणसदैवप्रदेशकेसामाजिकवराजनीतिकविमर्शकेकेंद्रमेंरहताहै।इसबड़ेवर्गकेसमर्थनकेकारणहीवर्ष2017मेंप्रदेशमेंभारीबहुमतकीसरकारबनीथी।पिछलेपांचवर्षोंमेंकृषिहितमेंलिएगएनिर्णयोंसेयहस्पष्टहैकिकिसानोंकाजैसाविश्वासइससरकारपरबनाहै,वैसापिछलीसरकारोंमेंदेखनेकोनहींमिला।
कोरोनाकालमेंकृषिक्षेत्रबनासहारा:यहकहनाहैकिभारतीयकिसानमंचकेअध्यक्षदेवेन्द्रतिवारीका।उनकेमुताबिककोरोनामहामारीमेंकृषिक्षेत्रकीमजबूतीहीदेशकेलिएसबसेबड़ासहाराबनकरउभरी।कोरोनाकीकठिनपरिस्थितियोंमेंराज्यसरकारनेकिसानोंकोसिंचाईकेलिएबिजली,खेतोंकेलिएबीजवखाद,उपजकोबेचनेकीसुविधाऔरउचितसमर्थनमूल्यसुलभतरीकेसेउपलब्धकराए।इसीकापरिणामथाकिकृषिक्षेत्रसेलोगोंकापलायनकमहुआऔरकृषि-प्रधानक्षेत्रोंकीअर्थव्यवस्थापरकोरोनाकाअसरसबसेकमपड़ा।किसानोंकेकल्याणकेलिएवर्ष2017सेचलाईजारहींकईयोजनाओंऔरसरकारबननेकेबादकिसानोंकीकर्जमाफीसेभीकृषकोंऔरसरकारकेप्रतिविश्वासकारिश्ताबना।
केंद्रीययोजनाओंसेबड़ीराहत: तिवारीनेकहाकिकेंद्रसरकारनेप्रधानमंत्रीकिसानसम्माननिधिकेमाध्यमसेकिसानोंकोसालाना6000रुपयेकाभुगतानकरउन्हेंआर्थिकमजबूतीदीहै।योजनाकेतहतउप्रमें2.54करोड़किसानोंको37,521करोड़रुपयेकाभुगतानहोचुकाहै।प्रधानमंत्रीकिसानमानधनयोजनामेंबीमितकिसानको60वर्षकीआयुपूरीहोनेपर3000रुपयेमासिकपेंशनदेनेकीव्यवस्थाहै।प्रदेशमेंअबतक2.52लाखलाभार्थियोंकोइसकालाभदियाजाचुकाहै।प्रधानमंत्रीफसलबीमायोजनामेंअबतक2.21करोड़किसानोंकापंजीकरणकरतेहुए27.56लाखकिसानोंको2376करोड़रुपयेकीक्षतिपूर्तिकाभुगतानकियागया।कृषिनिवेशोंपरदेय2151.30करोड़रुपयेअनुदानराशिकिसानोंकेखातेमेंभेजीगई।
एमएसपीमेंवृद्धिसेरिकार्डखरीद:तिवारीनेबतायाकिन्यूनतमसमर्थनमूल्य(एमएसपी)मेंपिछलेपांचवर्षोंमेंउल्लेखनीयवृद्धिकीगईहै।गेहूंकान्यूनतमसमर्थनमूल्य1975रुपयेप्रतिङ्क्षक्वटलनिर्धारितकियागयाऔरइसवर्ष13,01,705किसानोंसे56.41लाखटनगेहूंकीरिकार्डखरीदकीगई।इसवर्ष66.83लाखटनधानतथा1.06लाखटनमक्काखरीदागयाजोलक्ष्यसेडेढ़गुनाज्यादाहै।
पूरीहुईंअधूरीसिंचाईपरियोजनाएं:सरयूनहरपरियोजना1978मेंशुरूकीगईथीलेकिन2012सेअधूरीपड़ीथी।वर्तमानसरकारकेप्रयासोंसेइसेपूराकियागयाऔरअबइससे15लाखहेक्टेयरभूमिकोसींचाजासकेगा।लंबेसमयसेबंदपड़ेगोरखपुरकेखादकारखाने,बस्तीकीमुंडेरवाऔरगोरखपुरकीपिपराइचचीनीमिलेंदोबाराशुरूकीगईं।