मैंआमतौरपरप्राचीनभारतीयइतिहासकोलेकरज्यादामाथापच्चीनहींकरता.हालांकि,जबप्रबंधसंपादककायफ़्रीज़ेनेमुझेसिंधुघाटीसभ्यता(आइवीसी)परविशेषरूपसेवैदिकसंस्कृतिकेसंबंधमेंएकनईवैज्ञानिकखोजकेबारेमेंसूचितकिया,तोमेरीदिलचस्पीबढ़ी.जाहिरहै,देशमेंमौजूदाविवादोंकोध्यानमेंरखतेहुए,इसकीप्रासंगिकतासेइनकारनहींकियाजासकता.आइवीसीकोवैदिकसभ्यताकेरूपमेंपेशकरकेवेदोंकोभारतकीसभ्यताकीशुरुआतकेसाथहीरचेगएसबसेप्राचीनग्रंथकेरूपमेंस्वीकार्यबनानेसेजुड़ेप्रयासभीहोनेलगे.
हालांकि,आनुवांशिकीविज्ञानमेंहुईप्रगतिकीबदौलतअबआइवीसीनेअपनेकुछरहस्योंकोप्रकटकरनाशुरूकरदियाहै.आजकेहरियाणाकेराखीगढ़ीमेंलगभग4,500सालपहलेसिंधुघाटीकेनिवासीएकपुरुषजिसेआइ4411नामदियागयाहै,केकंकालसेप्राप्तडीएनएकेनमूनेनेआनुवंशिकीविदोंकोउलझनमेंडालदिया.
सबसेचौंकानेवालापहलूयहथाकिइसकंकालआइ4411केडीएनएमेंR1a1जेनेटिकमार्करपायाहीनहींगया.यहमहत्वपूर्णहैक्योंकिR1a1कोअक्सरबोलचालमें'आर्यनजीन'कहाजाताहैजोभारतकीआधुनिकआबादीमेंव्यापकरूपसेफैलगयाहै,हालांकियहभीकाफीहदतकभ्रामकहीहै.संकेतयहहैकिआइवीसीकेलोगोंकेजीनदक्षिणभारतीयजनजातियोंकेजीनकेज्यादाकरीबपाएगएहैं.'आर्यनजीन'तोमूलरूपसेस्टेपीकेघासकेमैदानोंकेलोगोंकाहैजोयूरोपकीओरसेभारतचलेआएथेऔरपहलेकेअध्ययनोंनेपायाहैकिउत्तरभारतकीउच्चजातियोंमेंयहविशेषरूपसेपायाजाताहै.
हमारेउद्गमसेजुड़ायहतथ्यभावनात्मकविषयहैक्योंकिपहचानकेसंकटकोलेकरदेशमेंराजनैतिकआंदोलनखड़ेहुएहैं.इसीमुद्देकोउठाकर1960केदशकमेंतमिलनाडुमेंद्रविड़पार्टियोंकाउभारहुआऔरहालहीमें,'बाहरीलोगों'कीपहचानकरनेकेलिएअसममेंतैयारनागरिकोंकेराष्ट्रीयरजिस्टरपरमचाबवालभीपहचानकेसंकटसेहीजुड़ाहै.
पश्चिमोत्तरभारतमें3500और1800ईसापूर्वकेबीचविकसितशुरुआतीकांस्ययुगीनसिंधुघाटीसभ्यताकेनिवासियोंकामूलउद्गमस्थलक्याहै,यहइसभारतीयउपमहाद्वीपकेसबसेबड़ेऔरसबसेलंबेसमयसेचलेआरहेरहस्योंमेंसेएकहै.
2014कीअपनीबेस्टसेलरकिताबसेपियन्समें,विद्वानऔरइतिहासकारयुवालनोआहरारीपश्चिमएशियाकेसुमेरियाईऔरमेसोपोटामियाईसभ्यताओंकोअपनीकिताबकेकईपन्नेसमर्पितकरतेहैं,लेकिनउनसभ्यताओंकेसमकालीनआइवीसीकोबसएकछोटेसेसंदर्भकेरूपमेंदेकरनिकलजातेहैंजबकिआइवीसीकाक्षेत्रउनदोनोंसभ्यताओंसेदोगुनाथा.
ऐसाइसलिएहैक्योंकिसुमेरऔरमेसोपोटामियाकीप्राचीनक्यूनिफॉर्मलिपिकोडीकोडकियाजाचुकाहै,लेकिनहमेंअभीतकआइवीसीकेलोगोंकीभाषाकोसमझनेकेलिएजरूरीवहरोसेटास्टोननहींमिलसकाहैजिसनेसुमेरियाईऔरमेसोपोटामियाईभाषाओंकोडिकोडकरनेमेंसक्षमबनायाथा.इसलिएप्राचीनसुमेरियाईलोगोंकादैनिकजीवनकैसाथाऔरउनकेअस्तित्वसेजुड़ीबातेंकाफीहदतकअबहमजानतेहैं,लेकिनआइवीसीकोलेकरहमेंकुछभीविशेषनहींपता.
जबतकइसकीलिपिकोसमझनहींलियाजाता,हमयहठीक-ठीकनहींजानपाएंगेकिइसकेनिवासियोंनेवास्तवमेंकैसाजीवनबिताया,येकिनकीपूजाकरतेथे,कैसेउन्होंनेअपनेफ्लशशौचालयों,जलआपूर्तिऔरसीवेजसिस्टमसेयुक्तपक्कीईंटकेघरोंवालीजैसीआकर्षकनगरसभ्यताविकसितकी,चारसहस्राब्दीबादभीभारतकेकुछहिस्सेउसकेलिएतरसरहेहैं.
उदाहरणकेलिए,हमतोयहभीनहींजानतेकिउत्कृष्टचहारदीवारीकेबीचबसेपक्केईंटोंकेमकानोंवालेइसशानदारशहरोंकोवास्तवमेंवेक्याकहकरपुकारतेथे-मोएनजोदाड़ोऔरहड़प्पातोइनकेआधुनिकनामहैं.
इससप्ताहकीहमारीकवरस्टोरीकायफ़्रीज़ेनेलिखीहै.कायपिछलेएकसालसेइसविषयपरनजरबनाएहुएथे.स्टोरीमेंउननएखुलासोंकीपड़तालहुईहैजोइसतथ्यपरजोरदेतेहैंकिउपमहाद्वीपमेंकईअलग-अलगनस्लोंसेताल्लुकरखनेवालीआबादीरहाकरतीथीजिनमेंसेकुछ,यहांकेसमुद्रतटोंपरदूसरोंकेमुकाबलेपहलेचलेआएथे.
नएअध्ययनकानिष्कर्षआनुवंशिकीविदडेविडराइकद्वारासिंधुघाटीकेमूलनिवासियोंकोलेकरदिएसिद्धांतपरफिटबैठताहैकियेमूलरूपसेदक्षिणभारतीयलोगोंकेपूर्वजथेजिनमेंदक्षिणएशियाईशिकारियोंऔरईरानीकिसानोंकेअंशथे.इननिष्कर्षोंपरशोधजारीरखनेकीजरूरतहै.
यहनवीनतमशोधनिष्कर्षसिंधुघाटीकेनिवासियोंकोलेकरहालतकमानेजारहेकुछअहमसिद्धांतोंकोउखाड़फेंकसकताहै,वस्तुतःवेपूर्वकेउसीधारणाकोमजबूतकरतेहैंकिभारतकिसीखासनस्लकेलोगोंकीभूमिहोनेकीबजाएकईसभ्यताओंकेनिरंतरमिलनसेतैयारहुआऔरइसधरतीपरसभ्यताओंकामेल-जोलचलतारहाहै.कमसेकमयहहमारेदेशकीमहानताकतोंमेंसेएकविविधतामेंएकताकीभावनाकोरेखांकितकरताहै.