Ramcharitmanas:रामचरितमानसमेंकईऐसीबातेंहैं,जोजीवनमेंमनुष्यकामार्गदर्शनकरतेहैं।उसकेअंदरकईअच्छेगुणोंकाविकासकरतेहैं,साथहीसंकट,दुखऔरशोककेसमयमेंइंसानकोनैतिकऔरमहत्वपूर्णबातोंकोबतातेहैं।अक्सरदेखागयाहैकिलोगअपनेप्रियजनों,रिश्तेदारों,मित्रोंआदिकेनिधनपरशोकमनातेहैंऔरदुखीहोतेहैं।यहमनुष्यकास्वभावभीहै।रामचरितमानसमेंबतायागयाहैकिकिसप्रकारकेलोगोंकेनिधनपरशोकमनानाचाहिए।आजरामायणकेउसप्रसंगकेबारेमेंबतारहेहैंजबश्रीरामकोवनवासकाआदेशदेनेकेबादराजादशरथस्वर्गसिधारजातेहैंऔरभरतजीकोयहसूचनादीजातीहै।
सबबिधिसोचिअपरअपकारी।
निजतनुपोषकनिरदयभारी।।
सोचनीयसबहींबिधिसोई।
जोनछाडि़छलुहरिजनहोई।।
श्रीरामचरितमासकीउपर्युक्तपंक्तियांउससमयकीहैं,जबभगवानरामकेवनगमनकेपश्चातगुरुवशिष्ठदूतोंकेद्वाराश्रीभरतकोननिहालसेबुलवातेहैं।श्रीभरतकेलौटआनेपरमहाराजश्रीदशरथकीमृत्युकीसारीगाथासेव्याकुलश्रीभरतकोगुरुदेवबहुतप्रकारसेसमझातेहैं।वेकहतेहैंकिकिनलोगोंकेलिएमृत्युकेपश्चातशोककरनाचाहिएऔरकिनलोगोंकेलिएशोककरनेकीआवश्यकतानहींहै।
महाराजश्रीदशरथकीधन्यताकाविस्तारसेबखानकरतेहुएवहकहतेहैं,भरत!शोकतोउसकेलिएकियाजाए,जोअपनेशरीरकातोभरण-पोषणकरे,परदूसरोंकाअनिष्टकरे,औरजराभीदयाभावनरखे।शोकउसकेलिएभीकरनाचाहिए,जोछलछोड़करभगवानकीभक्तिनकरे।
तुम्हारेपितातोभगवानशंकरकेमहानभक्तऔरहरतरहसेप्रजाकाहितकरनेवालेथे।कदाचितवेइतनेनिश्छलथेकिउन्हेंधर्मकीदुहाईदेकरछलागयाहै।यदिउनमेंतनिकभीकपटयाछलहोतातोवेरामकोवनभेजकरअपनेप्रतिइतनाअन्यायनकरते,जिसकेकारणउन्होंनेशरीरहीछोड़दिया।
चौदहभुवनोंऔरतीनोंकालों(भूत-वर्तमानऔरभविष्य)मेंऐसानिश्छलराजानतोहुआ,नहैऔरनहीहोगा।भरत!वेधन्यथे,जिनकेपुत्रराम,लक्ष्मण,शत्रुघ्नऔरतुमभरतहो!
-संतमैथिलीशरण(भाईजी)