सीतामढ़ी।पुपरीगांवस्थितश्रीयुवकपुस्तकालयकीबसयादेंहीशेषरहगईहै।यहांकीचहलकदमीपरमानोकिसीकीनजरलगगई।एकसमयमेंइसपुस्तकालयमेंप्रबुद्धलोगोंकाजमघटलगारहताथा।सहेजकररखेगएदुर्लभआत्मकथा,कहांनीसेलेकरनामचीनलेखकोंकीपुस्तकोंकोफुर्सतकेक्षणपढ़ाकरतेथे।पुस्तकालयकेविकासकेलिएतत्कालीनसमितिद्वाराबैठकमेंरणनीतिबनाईजातीथी।बादमेंधीरे-धीरेइतिहासकोसमेटनेवालेइसपुस्तकालयकावजूदमिटताचलागया।
आठदशकपुरानाहैयहऐतिहासिकपुस्तकालय:बतायाजाताहैकिसन1956मेंइसपुस्तकालयकीस्थापनाहुईथी।शुरूकेदिनोंमेंग्रामीणविनोदमिश्रकेदरवाजेपरइसकासंचालनकियागया।बादमेंमहाकांतझानामकग्रामीणनेजमीनपुस्तकालयकेलिएदानदिया।जिसकेबादसभीकेसहयोगसेभवनकानिर्माणकरायागया।इसकेसंस्थापकसदस्यकेरुपमेगांवकेहीमिश्रीलालसाह,सुशीलमिश्र,महंथमिश्र,इंद्रशेखरमिश्र,वासोमिश्र,कालीकांतमिश्र,रामप्रवेशगिरी,प्रमोदलालमिश्रआदिकानामआजभीलोगलेतेहैं।लेकिनइनमेंसेस्वर्गवासहोचुकेलोगोंकासपनापूरानहींहोसका।इसकेअलावाजोजीवितहैंवहसिस्टमकोकोसतेनजरआरहेहैं।अभीदानसेलेकरपुस्तकालयकीओरसेखरीदीगईडेढ़कट्ठाजमीनभवनसमेतउपेक्षाकाशिकारहै।इधर,सालभरपहलेधाराशायीकेकगारपरपहुंचचुकेभवनकोजनकपुररोडनगरपंचायतकीओरसेमरम्मतवरंगरोगनकरबचानेकीकोशिशतोकीगईहै।लेकिनफंडकेअभावमेंनकाराबनाहुआहै।
एकहजारसेअधिकदुर्लभपुस्तकवफर्नीचरहोगएबर्बाद:बतातेहैंशुरूकेदिनोंमेंतत्कालीनसमितिद्वारालकड़ीकेआलमीराबनवाकरएकहजारसेअधिकदुर्लभपुस्तकेंरखीजातीथी।जिसमेंकथा,कहानी,उपन्यासहीनही¨हदी,मैथिली,संस्कृत,राजनीतिकशास्त्र,धार्मिक,इतिहास,हास्य-व्यंग्यकेअलावाबड़े-बड़ेलेखककीपुस्तकेंउपलब्धहुआकरतीथी।किसीकार्यालयकीतरहकईकुर्सीवटेबललोगोंकेबैठनेवपुस्तकपढ़नेकेलिएरखागयाथा।फिलहालस्थितियहहैकिइसपुस्तकालयमेंचंदपुस्तकेंहीजीर्णशीर्णहालमेंबचीहैंजिसकोअध्यक्षनेसंसाधनकेअभावमेंघरपरसहेजकररखाहै।इसकेअलावाइसपुस्तकालयकेपासअबकुछभीनहींहै।
कहतेहैंअध्यक्षवगांवकेलोग:वर्तमानमेंपुस्तकालयकीदेखरेखकररहेपूर्वसरपंचरामूमिश्रबतातेहैंकिपुस्तकालयकोफिरसेपटरीपरलानेकेलिएप्रयासरतहै।इसमामलेमेंविधानपार्षददेवेशचंद्रठाकुरकोअवगतकरायाथा।इसकेबादबिहारसरकारकेपुस्तकालयअध्यक्षदिलीपकुमाररायसेफंडमुहैयाकराएजानेकीदिशामेंबातचलरहीहै।बतायाकिअगरफंडमिलजातीहैतोफिरसेइसऐतिहासिकपुस्तकालयकोजीवनदानमिलजाएगा।साथहीसमाजकेलोगोंकोइसकाफायदामिलेगा।वहींसंस्थापकसदस्यवजेपीआंदोलनकेसेनानीसुशीलमिश्रपुरानीयादेंताजाकरदुखीहोजातेहै।कहतेहैंकिअबसमयपहलेजैसानहींरहा।समाजकेसाथ-साथसरकारकोभीइसतरहकेसामाजिकस्तरपरस्थापितसंस्थाकोबचानेकेलिएगंभीरतासेविचारकरकोईनीतिबनानेकीजरूरतहै।युवकप्राणेशकुमारमिश्रकहतेहैंकिपुस्तकालयकीनींवइसउद्देश्यसेडालीगईथीकिगांवमेंपठन-पाठनकाआधारमजबूतहोगा।टीपूसुल्तान,पप्पूशर्मा,राकेशझा,हरिकिशोरपंडितआदिनेबतायाकिआजउक्तपुस्तकालयकोजीवंतकरनेकीजरूरतहै।इसकेलिएजनप्रतिनिधिकेसाथ-साथआमलोगोंकोभीपहलकरनीहोगी।बतायाकिबड़ेबुजुर्गकेअलावायुवापीढ़ीकोभीफिरसेईमानदारप्रयासकरनाहोगा।