वाराणसी,जेएनएन।समयबदलरहाहै,कृषिबदलरहीहै।समयकेसाथपरंपराओंऔरतकनीकोंकेसमन्वयसंगविज्ञानखेतोंमेंउतरनेलगातोखेतीभीसंवरनेलगीहैऔरकिसानोंकीकिस्मतबदलनेलगीहै।पूर्वांचलकेवाराणसीस्थितभारतीयसब्जीअनुसंधानसंस्थान(आइआइवीआर)ने29वर्षोंमेंसब्जियोंकी124नईकिस्मेंविकसितकीहैं।मऊकेकुशमौरस्थितराष्ट्रीयकृषिउपयोगीसूक्ष्मजीवब्यूरो(एनबीएआइएम)नेअबतक8000सेअधिकऐसेसूक्ष्मजीवोंकोचिह्नितकरनेमेंसफलतापाईहैजिससेकृषिक्षेत्रमेंक्रांतिलाईजासकतीहै।वहींमऊस्थितराष्ट्रीयबीजविज्ञानसंस्थान(आइआइएसएस)बदलतेवातावरण,उत्पादनवपोषणकीआवश्यकताकेअनुरूपनए-नएबीजोंकेअनुसंधानकोदशावदिशादेरहाहै।इनतीनोंराष्ट्रीयस्तरकेसंस्थानोंकेवैज्ञानिककेवलशोधहीनहींकररहे,बल्किनएअनुसंधानोंकेलाभोंसेपूर्वांचलकेकिसानोंकोलाभान्वितकरनेकेलिएउनकेखेतोंतकभीपहुंचरहेहैं।
सोमवारकोजागरणफोरमकेदूसरेसत्र'खेतोंमेंउतरताविज्ञान'मेंउपस्थितआइआइवीआरवएनबीएआइएमकेनिदेशकद्वयनेअपनेसंस्थानोंकीउपलब्धियोंऔरकिसानोंकोमिलरहेलाभकोसाझाकिया।आइआइवीआरकेनिदेशकडा.जगदीशसिंहनेबतायाकितकनीकोंवनईप्रजातियोंकेप्रयोगसेहीआजभारतमें2.95मिलियनहेक्टेअरमेंसब्जीकीखेतीहोरहीहै।चीनकेबादभारतदूसरासबसेबड़ाकृषिउत्पादकदेशबनगयाहै।बतायाकिसंस्थानमेंकार्यरतलगभग60वैज्ञानिकोंकेअनुसंधानकापरिणामहैकिसंस्थाननेअबतकसब्जियोंकी124नईप्रजातियोंकाविकासकियाजोकिसानोंकेलिएसमय,श्रमऔरलागतकीदृष्टिसेसुविधाजनकहोतेहुएभीपोषणसेभरपूरवउत्पादनमेंप्रचुरहैं।
किसानोंतकइननएअनुसंधानोंकोपहुंचानेकेलिएसंस्थानकेवैज्ञानिकवाराणसी,गाजीपुर,चंदौलीवमीरजापुरकेखेतोंमेंप्रदर्शनकरउनकेबारेमेंजानकारीदेतेहैं।सतरंगीगाजर,तीन-चाररंगोंकेखरबूजे,खरीफकेसमयमें60-65दिनमेंएकसाथतैयारहोनेवालीहरीमिर्च,उतनेहीदिनोंमेंतैयारहोनेवालीलोबियासंस्थानकेवेअनुसंधानहैंजिनकीधूमविदेशोंतकहै।उन्होंनेकिसानोंसेआह्वानकियाकिवेजैविकखेतीकरेंऔरभरपूरलाभउठाएं।उदाहरणभीदियाकिगाजीपुरकेरामकुमाररायनेइसकालाभलेनाशुरूकियाआजवेविदेशमेंसब्जियांनिर्यातकरनेकेलिएजानेजातेहैं।
राष्ट्रीयकृषिउपयोगीसूक्ष्मजीवब्यूरोकुशमौरमऊकेनिदेशकडा.एकेसक्सेनानेबतायाकिब्यूरोविभिन्नवातावरणोंमेंपाएजानेवालेसूक्ष्मजीवोंपरशोधकरताहै।सूक्ष्मजीवोंकीप्रकृति,उनकीविशिष्टताकाविश्लेषणकरउनमेंसेकृषिक्षेत्रकेउपयोगीसूक्ष्मजीवोंकाचयनकरसंरक्षणवसंवर्धनकरताहै।ब्यूरोमेंअबतकलगभग8000सूक्ष्मजीवोंकासंकलनकरउनकाजीनोमविश्लेषणकियागयाहै।उन्होंनेबतायाकिमिट्टीमेंजीवनसूक्ष्मजीवोंकेकारणहीहोताहै।खेत,खेतीवस्वास्थ्यकोसर्वाधिकनुकसानरासायनिकखादसेहुआहै।ब्यूरोमेंइनसूक्ष्मजीवोंसेअनेकबायोकंपोस्ट,बायोपेस्टीसाइड्सबनाएगएहैं,जिनकाप्रयोगकरकिसानरासायनिकखादों,रासायनिककीटनाशकोंसेमुक्तिपासकताहै।
इनमेंप्रमुखहैंबायो-एनपीकेवबायो-ग्रोतथाअनेकप्रकारकेसूक्ष्मजीवोंकेटीके।बायो-एनपीकेरासायनिकएनपीकेकाप्रमुखविकल्पहैतोबायो-ग्रोपौधोंकीबढ़वार,संपूर्णस्वास्थ्य,कीटवरोगोंसेरक्षाकापूर्णपैकेजहै।इससेपहलीहीबारमेंकिसान25से30फीसदरासायनिकखादकेप्रयोगसेमुक्तिपासकताहै।अनेकटीकेपौधोंकीविभिन्नरोगों,अजैविकतनावोंसेरक्षाकरतेहैं।ब्यूरोकेवैज्ञानिकखेतोंतकपहुंचकरकिसानोंकोसूक्ष्मजीवोंकीसहायतासेखर-पतवारसेगुणवत्तायुक्तखादबनानेकाप्रशिक्षणदेरहेहैं,जिनकीलागतशून्यहै।यहखाद40-45दिनमेंतैयारहोजातीहै।आजमगढ़,मऊ,बलिया,गाजीपुरजनपदोंमेंब्यूरोकेवैज्ञानिकखेतोंकेबीचजाकरतकनीकीसेअवगतकरारहेहैं।लोगइनसेलाभान्वितभीहोरहेहैं।यहभीबतायाकिपूरेदेशमेंबायो-कंपोस्टवबायो-पेस्टीसाइडबनानेवालीकंपनियोंकोभीब्यूरोतकनीकफार्मूलेशनउपलब्धकरारहाहै।उन्होंनेकहाकिसूक्ष्मजीवोंकेबिनाजैविकखेतीकीकल्पनाअधूरीहोगी।किसानोंकोइनअनुसंधानोंकालाभउठानेकेलिएजागरूकहोनापड़ेगा।