संवादसहयोगी,बिलावर:संतबालयोगेश्वरभारतीयविद्यामंदिरडडवारामेंशुक्रवारकोगुरुपूर्णिमापरकार्यक्रमकाआयोजनकियागया।कार्यक्रममेंस्कूलकेछात्रोंनेगुरुकीपूजाकी।
सर्वप्रथमछात्रऔरस्टाफसदस्योंनेसंतबालयोगेश्वरकेचित्रपरपुष्पअर्पितकिए।इसकेबादस्कूलकेगुरुओंकीपूजाकी।कार्यक्रममेंविद्यालयकीप्रधानाचार्यनीतूचौधरीनेकहाकिगुरुकेबिनाज्ञानकीप्राप्तिनहींहोसकती।कबीरकेदोहेसेअपनीबातरखतेहुएउन्होंनेकहाकिगुरुगोबिंददोनोंखड़े,किसकेलगाएंपावबलिहारी।गुरुआपजीजिन्होंनेराहदिखाई।उन्होंनेकहाकिगुरुकास्थानभगवानसेभीबड़ाहोताहै,जोएकइंसानकोभगवानसेमिलानेकाकामकरताहै।जैसेकुम्हारमिट्टीकोअपनीमर्जीसेकोईभीआकारदेताहै।वैसेहीगुरुएकअबोधबच्चेकोज्ञानदेकरउसकीदिशानिर्धारितकरताहै।इसलिएगुरुकाहमेशाआदरकरनाचाहिए,लेकिनआजगुरुभीअपनीमर्यादाभूलरहेहैं।शिक्षाउनकेलिएव्यापारबनगयाहै।पहलेगुरुअपनेछात्रोंकोनिशुल्कशिक्षादेनेकेसाथउनकेउज्ज्वलभविष्यकेलिएउनकामार्गदर्शनकरतेथे।इसलिएशिक्षाकोव्यापारनहींबनाएं।कार्यक्रममेंबड़ीसंख्यामेंछात्रोंऔरउनकेअभिभावकोंनेभागलिया।